भगवान बुद्ध और किसान का संक्षिप्त विवरण | Hindi kahaniya
इस कहानी मे आप ये जानेंगे की संसार के सारे दुखो का निवारण भगवान बुद्ध कैसे दे रहे है एक किसान को [Hindi kahaniya]
बहुत समय पहले एक गांव मे एक किसान रहता था। वह अपने दुखो से बहुत परेशान रहता था। तभी उसे किसी ने कहा तुम बहुत परेशान रहते हो तुम बुद्ध की शरण मे जाओ, वो तुम्हारी सारी परेशानियां दूर कर देंगे।
यह सुनने के बाद किसान बुद्ध की शरण मे जाने के लिये निकल पड़ा। जैसा की हम सभी के जीवन मे होता है। वह किसान के जीवन मे भी परेशानिया थी। किसान बुद्ध के पास पहूंचा और बुद्ध से कहने लगा।
बुद्ध किसान की बाते सुनते रहे। किसान ने कहा मै विवाहित हूं। मेरी पत्नी मेरा ध्यान रखती है मै उसे प्रेम भी करता हूं। कभी कभी वो मुझे परेशान भी कर देती है, कभी मुझे लगता है की वो मेरे जीवन मे ना होती तो अच्चा होता। मेरे बच्चे भी हैं वो भले है लेकिन कभी कभी वो मेरी अवज्ञा कर देते है। और कभी तो वो मेरी बाते नही मानते हैं जिसे मुझे ऐसा लगता है की वो मेरे बच्चे हैं ही नही। [Hindi kahani]
किसान ऐसे ही बोलता गया और एक एक कर अपनी सारी समस्याओं को बुद्ध के सामने रखा। बुद्ध शांती से किसान की सारी बाते सुनते गये। किसान लगातर बोलता गया थोड़ी देर बात किसान के पास बोलने को कुछ नही था।
किन बुद्ध ने कुछ नही कहा। तब किसान बोलता है मै आपके पास आया हूं क्या आप मेरी परेशानिया दूर नही करेंगे? तभी बुद्ध ने बोला मै तुम्हारी कोई मदद नही कर सकता।
इस पर बुद्ध कहते है सभी के जीवन मे कठिनाइयाँ होती है। तुम्हारे जीवन मे भी कोई नई परेशानिया नही है। यह सब के जीवन मे आते है और चले भी जाते हैं।
कभी मनुष्य खुश होता है तो कभी दुखी होता है। कभी उसे पराये अपने लगते हैं और कभी अपने पराये लगते हैं। यह जीवन चक्र है इसे कोई नही निकल सकता। वास्तविकता तो यह है की हम सभी के जीवन मे 83 कठिनाइयाँ होती है। यहां मौजूद मेरा, तुम्हारा और सभी के जीवन मे कठिनाइयाँ है।
तुम इस 83 समस्याओ का समाधान नही कर सकते, कोई भी नही कर सकता, मै भी नही। अगर तुम कठोर कर्म कर के उनमें से किसी एक का उपाय भी कर लो तो उसकी जगह एक नई समस्या आ जायेगी।
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जीवन का कोई भरोषा नही है। एक दिन तुम जिसे चाहते हो वो तुम्हे छोड़ देंगे और चले जायेंगे। एक दिन यह जीवन भी तुम्हे छोड़ देगा और तुम भी यहां से चले जाओगे। समस्याये वैसे ही बनी रहेगी आज भी वैसी ही है जैसे 100 साल पहले थी या 1000 साल पहले थी।
मगर आप मेरी समस्याओ का कोई समाधन ही नही कर सकते तो मेरा यहाँ आना व्यर्थ हुआ। सभी लोग झूठ बोलते हैं की आप सबकी समस्यायो का समाधान करते हैं। आपने तो मेरी एक भी समस्या का समाधान नही किया। आपसे अच्छे तो वो महात्मा हैं जो 2 वर्ष पहले मेरे घर आये थे। उन्होंने मुझसे यज्ञ कराया दान दक्षिणा करवाया जिसे मेरे मन को आपार शांती मिली।
कुछ समय के लिये सुख भी आया और कुछ दुख भी कम हुए। लेकिंन आप ने तो मेरे किसी भी समस्या का समाधान नही किया, आपने सीधा मना कर दिया।
बुद्ध ने कहा, क्या वो सब करने से तुम्हारे सारे दुख समाप्त हो गये हैं? क्या तुम आज उन सब से ज्यादा दुखो मे नही पड़े हो? यह दुख कभी समाप्त नही होने वाले।
तभी बुद्ध कहते हैं मै तुम्हारी इन 83 समस्याओं का हल नही कर सकता। लेकिन मै तुम्हारी 84वी समस्या का समाधान कर सकता हूं। किसान ने बोला 84वी समस्या? वो कौन सी हैं।
बुद्ध ने कहा वो यह है की तुम नही चाहते की तुम्हारे जीवन मे कोई समस्या हो इस समस्या के कारन ही सभी समस्याओ का जन्म हुआ है। अगर तुम इस बात का स्वीकार कर लो की जीवन मे समस्या होती है। और सभी की जीवन मे कुछ ना कुछ कठिनाइयाँ होती ही हैं। [hindi kahani for kids]
तुम सोचते हो की तुम इस दुनिया मे सबसे ज्यादा दुखी हो और तुम्हारे जितना और कोई दुखी नही है। तुम अपने आस पास देखो सभी के जीवन मे दुख है। और सब को उनका दुख बडा लगता है। तुम्हे भी अपना दुख बडा लगता है।
इस दुनिया मे सभी को अपना दुख बडा लगता है। चाहे दुख छोटा हो या बडा, जिसके साथ दुख घट रहा होता उसके लिये वह बडा होता है। हम किसी दुसरे के बारे मे विचार नही करते, बहुत दूर के बारे मे तो विल्कुल विचार नही करते, कोई हमारा सगा,सम्बन्धी हो तो उसके बारे मे थोडा विचार करते भी हैं।
लेकिन अगर बात हम पर आ जाये तो हम विचलित हो जाते हैं। अपने जीवन मे कोई समस्या ना होने पर या सुख होने पर हम दूसरो को उपदेश देते हैं की ऐसे करो वैसे करो तो तुम्हारे जीवन मे सुख आयेगा। तुम क्यू इतना दुखी क्यू होते हो? दुख सुख तो जीवन मे आते जाते रहते हैं। लेकिन जब समस्या हमारे उपर आती है तो हम खुद ये सारी बाते भुल जाते हैं।
हम सिर्फ अपनी दुख से दुखी होते रहते हैं। यही है 84वी समस्या की तुम यह चाहते हो की तुम्हारे जीवन मे कोई समस्या ना हो यही चीज़ तुम्हारे सारे समस्यायो का जड़ है। अगर तुम ध्यानपूर्वक देखोगे और समझोगे तो जीवन सुखो से और दुखो से भरा हुआ है। इसको तुम कभी नही बदल सकते।
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अगर तुम यह चाहते हो की तुम्हारा जीवन हमेशा सुखो से भरा रहे तो ये कभी संभव नही। अगर तुम यह चाहते हो की तुम्हारा जीवन दुखों से भरा रहे तो यह भी संभव नही। अगर तुम यह चाहते हो की तुम सुख और दुख से उपर उठ सको तो यह संभव है।
सुख दुख को आने से हम रोक नही सकते। लेकिन सुख दुख का हम पर कोई प्रभाव ना पड़े इसकी व्यवस्था हम कर सकते हैं।
इस 84वी समस्या का समाधान है की तुम्हे समझना होगा की जीवन मे उतार चढ़ाव होते रहते हैं। हमे इसे विचलित नही होना चाहिये। एक पर दुख तो अगले पल सुख होता है।
किसान खड़ा होता है और बुद्ध को धन्यवाद देते हुए कहता है। हे बुद्ध, मै इतनी सरल बात को नही समझ पाया। आपने मुझे इतनी सरलता से समझा दिया। मै अब जीन्दगी को अच्छे से जीउंगा। buddha aur kissan .
जब आप सुख और दुख से उपर उठ कर देखेंगे तो जिन्दगी आपको बहुत खुबशुरत और सरल दिखेगी ।